Wednesday, August 10, 2011

Bachpan Ka Zamana.....


Bachpan Ka Zamana Hota Tha,
Khushio.N Ka Khazana Hota Tha.
Chahat Chaand Ko Paane Ki,
Dil Titli Ka Deewana Hota Tha.

Rone Ki Wajha Na Hoti Thi,
Hasne Ka Bahana Hota Tha.
Khaber Na Thai Kuch Subho Ki,
Na Shamo Ka Thikana Hota Tha.

Daadi Ki Kahani Hoti Thi,
Pariuon Ka Fasana Hota Tha.
Pedho Ki Shakhe Chutey They,
Mitti Ka Khilona Hota Tha.

Gam Ki Zuban Na Hoti Thi,
Na Zakhmo Ka Paymana Hota Tha.
Barish Mein Kagaz Ki Kashti,
Har Mousam Suhana Hota Tha.

Wo Khel Wo Sathi Hotey They,
Har Rishta Nibhana Hota Tha.

Monday, July 11, 2011

आज खुद अपनी दीवानगी

आज खुद अपनी दीवानगी पर मैं हैरान नहीं,

रस्मे -वफ़ा टूट भी जाए तो पशेमान नहीं ..

मैकदे में झूमते रहने का ही है इल्म मुझको,

चाहे हाथों में मेरे कोई भरा जाम नहीं ...

वो जो उतरा था मय की जगह मुझमे साकी,

आज उसको भी मेरी मस्ती का गुमान नहीं....

टूट जाती है डोर अक्ल की उस एक पल में,

बेखुदी होती है जब फिक्र का सामान नहीं

Wednesday, July 6, 2011

वो लड.की



उसको देखता हूं तो लगता है यूं
जैसे सुबह की लालिमा लिए
आसमां की क्षितिज पर
एक तारा टिमटिमा रहा हो।
उसकी खामोश निगाहें
कुछ कहना चाहती है मुझसे
होठों पर है ढेर सारी बातें
फिर भी न जाने क्यूं चुप है।
हंसती है वो तो
चमन में फूल खिलते हैं।
बात करती है तो लगता है
दूर कहीं झरने बहते हैं।
उसकी शोख और चंचल अदाएं
मुझको दिवाना बनाती है।
उसकी सादगी हर पल
एक नया संगीत सुनाती है।
इतना तो पता है कि
उसको भी मुझसे प्यार है।
कभी तो नज़र उठेगी मेरी तरफ,
उस वक्त का इन्तजार है।

मुझसे मेरा हाल न पूछो


मुझसे मेरा हाल न पूछो,अक्सर तनहा रहता हूं
अपने ही साए से दिल की बातें करता रहता हूं

आसमान को छूने वाले कभी तो नीचे आयेंगे
मुझको अपनी हदें पता हैं, जान के छोटा रहता हूं

सुबह का इंतज़ार

एक मुक्कमल सुबह का इंतज़ार है,
मगर हर रात आने वाले चाँद से भी बेहद प्यार है...
नींद जरुरी है सेहत के लिए,
मगर सपने दवाओं से ज्यादा तीमारदार है.
एक दिल, एक जाँ है मुझमे ,
एक ही शक्स हूँ मैं...............
फिर भी आईने में देखकर लगता है,
कितनी ही परछाइयों का अक्स हूँ मैं...

Monday, June 27, 2011

"Jo Beet Gayi So Bat Gayi" ...By Harivansh Rai Bachchan ".

Jeevan Main Ek Sitara Tha
Maana Vah Behad Pyara Tha
Vah Doob Gaya To Doob Gaya
Ambar Kay Aanan Ko Dekho
Kitne Iskay Taare Toote
Kitne Iskay Pyare Choote
Jo Choot Gaye Fir Kahan Mile
Par Bolo Toote Taaron Par
Kab Ambar Shok Manata Hai
Jo Beet Gayi So Baat Gayi

Jeevan Main Vah Tha Ek Kusum
They Us Par Nitya Nichavar Tum
Vah Sookh Gaya TO Sookh Gaya
Madhuvan Ki Chaati Ko Dekho
Sookhi Kitni Iski Kaliyan
Murjhaayi Kitni ballriyan
Jo Murjhayi Woh Fir Kahan Khili
Par Bolo Sookhe Phoolon Par
Kab Madhuban Shor Machata hai
Jo Beet Gayi So Bat Gayi

jeevan Main Madhu Ka Pyala Tha
Tumnay Tan Man De Daala Tha
Wah Toot Gaya To Toot Gaya
Madiralya Kay Aangan Ko Dekho
Kitne Pyale Hil Jaate Hain
Gir Mitti Main Mil Jaate Hain
Jo Girte Hain Kab Uthte Hain
Par Bolo Toote Pyalo Par
Kab Madiralaya Pachtata Hai

Jo Beet Gayi So Baat Gayi

Mridu Mitti Kay Hain Bane Hue
Madhu Ghoot Phoota Hi Kartay Hain
Laghu Jeevan Lekar Aaye Hain
Pyale Toota Hi Karte Hain
Fir Bhi Madiralaya Kay Andar
Madhu Kay Ghat Hai Madhu Pyale Hain
Jo Madakta Kay Maare Hain
Vey Madhu Loota Hi Kartay Hain
Va Kachcha Peene Wala Hai
Jiski Mamta Ghat Pyalon Par
Jo Sachchey Madhu Sey Jala Hua
Kab Rota Hai Chillata Hai
Jo Beet Gayi So Baat Gayi

थोड़ी फुरसत दे ए जिंदगी ..City Life

थोड़ी फुरसत दे ए जिंदगी ..
कहीं तो जाके ढूंड लाऊ खुद को,
खुद अपने से सिसकता वक्त की टिक टिक सोने नही देती,
ये मुखोटे लगाये इंसानों के शोर अब जीने नही देती !
नही देखा पता इन अंधेरो के चीरते प्रकश स्तंभों को ,
पराये से आंखे दिखाते है ये हमारी आँखों में घूर के !
किन चौराहों पर रुकते, की लोग आते है यहाँ,
सुना है लोग ऑनलाइन, जिंदगी ऑफलाइन हो गयी !
जब भी भाग के जाते कई हाथ बढ़ते थे आगे,
पर मेट्रो सवार जिंदगी अब मन के अंदर से गुजर गयी !
कैसे बचोगे इस मौसमी तुफानो से ...
रुखाई के तूफान अक्सर उठते है इन शहरों में !

भूले तो नही थे

बस समझ लिया दौराने सफर का एक पड़ाव था,
भूले तो नही थे, थोरे गुमराह हुए थे ...
मुसाफिर ही है हम ! भले अहसास कोई और करा गया !
अपना चलना नाकाफी है अभी मंजिल पाने को !

Thursday, June 23, 2011

Bachpan Ke Dukh

Bachpan Ke Dukh Bi Kitne Ache
The.
Tab To Sirf Khilone Tuta Karte
The..
Wo Khushiyan Bi Na Jane Kaise...Khushiyan Thi...

Titli Ko Pakad Ke Uchhla Karte
The...
Paoon Maar Ke Khud Barish Ke
Pani Mae...
Apna Aap Bhigoya Karte The...
Ab To Ek Aansu Bi Rusva Kar Jata
Hai...
Bachpan Mein To Dil Khol Ke Roya
Karte The..
Bachpan Ke Dukh Bi Kitne Ache
The..

ऐसी नादानी कर बैठे....

एक चेहरा था ,दो आखें थीं ,हम भूल पुरानी कर बैठे .
एक किस्सा जी कर खुद को ही, हम एक कहानी कर बैठे ...
हम तो अल्हड-अलबेले थे ,खुद जैसे निपट अकेले थे , मन नहीं रमा तो नहीं रमा ,जग में कितने ही मेले थे , पर जिस दिन प्यास बंधी तट पर ,पनघट इस घट में अटक गया .
एक इंगित ने ऐसा मोड़ा,जीवन का रथ, पथ भटक गया , जिस "पागलपन" को करने में ज्ञानी-ध्यानी घबराते है , वो पागलपन जी कर खुद को ,हम ज्ञानी-ध्यानी कर बैठे. एक चेहरा था ,दो आखें थीं ,हम भूल पुरानी कर बैठे .
एक किस्सा जी कर खुद को ही, हम एक कहानी कर बैठे .
परिचित-गुरुजन-परिजन रोये,दुनिया ने कितना समझाया पर रोग खुदाई था अपना ,कोई उपचार ना चल पाया , एक नाम हुआ सारी दुनिया ,काबा-काशी एक गली हुई, ये शेरो-सुखन ये वाह-वाह , आहें हैं तब की पली हुई वो प्यास जगी अन्तरमन में ,एक घूंट तृप्ति को तरस गए , अब यही प्यास दे कर जग को ,हम पानी-पानी कर बैठे .
एक चेहरा था ,दो आखें थीं ,हम भूल पुरानी कर बैठे .
एक किस्सा जी कर खुद को ही, हम एक कहानी कर बैठे . क्या मिला और क्या छूट गया , ये गुना-भाग हम क्या जाने , हम खुद में जल कर निखरे हैं ,कुछ और आग हूँ क्या जाने , सांसों का मोल नहीं होता ,कोई क्या हम को लौटाए , जो सीस काट कर हाथ धरे , वो साथ हमारे आ जाए , कहते हैं लोग हमें "पागल" ,कहते हैं नादानी की है , हैं सफल "सयाना" जो जग में , ऐसी नादानी कर बैठे एक चेहरा था ,दो आखें थीं ,हम भूल पुरानी कर बैठे . एक किस्सा जी कर खुद को ही, हम एक कहानी कर बैठे . ऐसी नादानी कर बैठे....