Monday, July 11, 2011

आज खुद अपनी दीवानगी

आज खुद अपनी दीवानगी पर मैं हैरान नहीं,

रस्मे -वफ़ा टूट भी जाए तो पशेमान नहीं ..

मैकदे में झूमते रहने का ही है इल्म मुझको,

चाहे हाथों में मेरे कोई भरा जाम नहीं ...

वो जो उतरा था मय की जगह मुझमे साकी,

आज उसको भी मेरी मस्ती का गुमान नहीं....

टूट जाती है डोर अक्ल की उस एक पल में,

बेखुदी होती है जब फिक्र का सामान नहीं

Wednesday, July 6, 2011

वो लड.की



उसको देखता हूं तो लगता है यूं
जैसे सुबह की लालिमा लिए
आसमां की क्षितिज पर
एक तारा टिमटिमा रहा हो।
उसकी खामोश निगाहें
कुछ कहना चाहती है मुझसे
होठों पर है ढेर सारी बातें
फिर भी न जाने क्यूं चुप है।
हंसती है वो तो
चमन में फूल खिलते हैं।
बात करती है तो लगता है
दूर कहीं झरने बहते हैं।
उसकी शोख और चंचल अदाएं
मुझको दिवाना बनाती है।
उसकी सादगी हर पल
एक नया संगीत सुनाती है।
इतना तो पता है कि
उसको भी मुझसे प्यार है।
कभी तो नज़र उठेगी मेरी तरफ,
उस वक्त का इन्तजार है।

मुझसे मेरा हाल न पूछो


मुझसे मेरा हाल न पूछो,अक्सर तनहा रहता हूं
अपने ही साए से दिल की बातें करता रहता हूं

आसमान को छूने वाले कभी तो नीचे आयेंगे
मुझको अपनी हदें पता हैं, जान के छोटा रहता हूं

सुबह का इंतज़ार

एक मुक्कमल सुबह का इंतज़ार है,
मगर हर रात आने वाले चाँद से भी बेहद प्यार है...
नींद जरुरी है सेहत के लिए,
मगर सपने दवाओं से ज्यादा तीमारदार है.
एक दिल, एक जाँ है मुझमे ,
एक ही शक्स हूँ मैं...............
फिर भी आईने में देखकर लगता है,
कितनी ही परछाइयों का अक्स हूँ मैं...